क्षत्रियो के सच्चे गुण
किसी कवि ने क्षत्रिय में क्या गुण होने चाहिये ,इस के बारे में निम्न दोहे लिखे हैं -
काछ दृढां कर बरसना ,मन चंगा मुख मिठ।
रण शूरा जग वल्लभा ,सो हम चाहत दिठ।।
रंग लक्षण रज पूत ,बात मुख झूठ न बोले।
रंग लक्षण रज पूत ,काछ पर नार न खोले।।
रंग लक्षण रजपूत ,न्याय धर तुल निज तोले।
रंग लक्षण रजपूत ,अडर केहरि जिम डोले।।
पीरजा पालन पुत्री सम ,लेहण प्राण कपूत रा।
मादक मेले न मुख ,प्रिय लखण रजपूत रा।.
हरख सोच नही हिये ,सुजस निंदा नही सारे।
जीवन मरण जिहान ,लाग्यो है प्राणी लारे।।
रथ रूपी पिंजर रचक सकल नियंता स्याम रो।
और रो डर नही ,डर अवस रात दिवस उण राम रो।.
किसी कवि ने क्षत्रिय में क्या गुण होने चाहिये ,इस के बारे में निम्न दोहे लिखे हैं -
काछ दृढां कर बरसना ,मन चंगा मुख मिठ।
रण शूरा जग वल्लभा ,सो हम चाहत दिठ।।
रंग लक्षण रज पूत ,बात मुख झूठ न बोले।
रंग लक्षण रज पूत ,काछ पर नार न खोले।।
रंग लक्षण रजपूत ,न्याय धर तुल निज तोले।
रंग लक्षण रजपूत ,अडर केहरि जिम डोले।।
पीरजा पालन पुत्री सम ,लेहण प्राण कपूत रा।
मादक मेले न मुख ,प्रिय लखण रजपूत रा।.
हरख सोच नही हिये ,सुजस निंदा नही सारे।
जीवन मरण जिहान ,लाग्यो है प्राणी लारे।।
रथ रूपी पिंजर रचक सकल नियंता स्याम रो।
और रो डर नही ,डर अवस रात दिवस उण राम रो।.
सादर जय माता जी की सा!
ReplyDeleteहुकुम क्या आप बताने का कष्ट करेगे क्या क्षत्रियो के दस नियम क्या क्या है सा अपने सवधर्म के प्रति!