Wednesday, August 14, 2013

राव शेखा व उनकी सन्तति

                               राव शेखा व उनकी सन्तति 
राव शेखा के बारह पुत्र थे जिनमें चार न ओलाद गये , शेष आठों पुत्रो के वंशज शेखावत कहलाते हैं।  उनमे सबसे जेष्ठ दुर्गा जी थे , किन्तु शेखा जी की मृत्यु के उपरान्त  अमरसर की राज गद्दी पर उनके छोटे पुत्र  रायमल जी बैठे।
१. दुर्गाजी इनके वंशज अपनी माता टांकण जी के नाम से टकनेत कहलाये।  इस वंश में अलखाजी अपने समय के परम ईश्वर भक्त व आदर्श व्यक्ति थे।  ये खंडेला राजा गिरधर दास के प्रधान थे।इनके वंशज पिपराली ,खोह , गुंगारा ,अजाडी, तिहावली , जांखड़ा, और भाकरवासी  में बसते हैं।  माधोदास जी के वंशज खोरी ,मंडवरा तथा बाजोर में हैं। सकत सिंह जी के वंशज बारवा ,तिहाय, बाय, ठेडी तथा पिलानी में बसते हैं। अलखा जी के ही वंश की एक शाखा चुरू में है।

२. रतनाजी ये शेखा जी के  द्वितीये पुत्र थे। इनके वंशज रतनावत शेखावत कहलाते हैं।  बैराठ के पास के प्रागपुरा ,पावटा ,बाघावास ,राजनोता ,भूनास ,ठिसकोला ,भामरु गुढ़ा ,जयसिंह पुरा , बडनगर ,जोधपुर आदि में हैं।  शेखाजी द्वारा हरियाणा के चरखी ,दादरी,भिवानी आदि स्थानों पर आक्रमण के समय रतनाजी अद्भुत वीरता प्रदर्शित की , शेखाजी ने वहां जीते ग्रामो का अधिकार रतनाजी को दे दिया। सतनाली के पास के ग्रामो के समूह को रतनावतो का चालीसा कहा जाता है। रतनाजी की एक पुत्री का विवाह जोधपुर राव मालदेव के साथ हुआ था।

३. भरतजी। ४. तिलोकजी।  ५. प्रतापजी।  - निसंतान थे

६. आभाजी अपनी माताजी के बसाये हुए ग्राम मिलकपुर में बसने से मिलकपुरिया कह लाये

७. अचलाजी भी अपने भाई के साथ मिलकपुर में रहते थे सो इनके वंशज भी मिलकपु रिया ही कहलाते हैं।
८. पूरण जी ये घाटवा के युद्ध में शेखाजी के साथ ही लड़ते हुए मारे गये, यह भी निसंतान थे।

९. रिडमलजी -खेजडोली गाँव में बसने से इनके वंशज खेजडोल्या शेखावत कहलाते हैं।

१०. कुम्भा जी के वंशज सतालपोता कहे जाते है पर बाद में इन्हें भी खेजड़ोल्या ही कहा जाने लगा। यह भी खेजड़ोली गाँव में ही रहते थे।  इनकी कोटडिया सीकर के बेरी ,भूमा छोटा ,बासणी ,कटेवा ,भोजासर ,रासू  बड़ी,जेइ पहाड़ी ,सेणु सर ,नवलगढ़ के पास खेजड़ोल्या की ढाणी  आदि गाँवो में है।

११. भारमल जी इन के वंशज भी खेजड़ोल्या ही कहे जाते है।  किन्तु इनके बड़े पुत्र बाघा के वंशज बाघावत कहलाते हैं। ये भरडाटू , पालसर , ढाकास,गरडवा,पटोदा आदि गाँवो में हैं।

१२.राव  रायमल जी - ये शेखाजी के सबसे छोटे पुत्र थे अमरसर का राज्याधिकार इन्हें मिला।  घाटवा के युद्ध में गोड़ो की पराजय हुई किन्तु शेखाजी इस युद्ध में  अत्यंत घायल हो चुके थे।घाटवा से ये सेना सहित रात्रि विश्राम के लिए जिण माता के ओयण के पास रलावता में डेरा किया।  शेखाजी ने अपना अंतिम समय नजदीक समझ कर अपनी ढाल व तलवार रायमल जी को सौंपकर  अमरसर का राज तिलक देने की इच्छा प्रकट की।
रायमल जी शेखावत वंश परम्परा में सर्वाधिक शक्तिशाली और महत्व पूर्ण व्यक्ति हुए हैं। शेरशाह सूरी का पिता मिंया हसनखां इनकी सेना में चाकरी करता था।

इनके ६ पुत्र थे जिनमे जेष्ठ  सुजा जी को अमरसर का राज मिला।

१.  तेजसी के वंशज तेजसी के शेखावत कहलाते है व अलवर जिले के नारायणपुर ,गढ़ी ,मामोड़ और बाणासुर के गाँवो में हैं।

२. सहसमल जी को १२ गांवों से सांईवाड की जागीर मिली थी ,इन के वंशज सहसमल जी के शेखावत कहलाते हैं। इनकी एक पुत्री (मदालसा देवी )  का विवाह आमेट के रावत पत्ताजी चुण्डावत से हुआ था जिन्होंने चितोड़ के तीसरे शाके का नेतृत्व किया था।

३. जगमाल को १२ गाँवो से  में हमीरपुर व हाजीपुर की जागीर मिली जो अलवर जिले में हैं। जगमाल का पुत्र दुदा वीर व उदार राजपूत था उसकी प्रसिधी के कारण इन के वंशज दुदावत शेखावत कहलाते है।

४. ५. सीहा व सुरताण के बारे में कोई जानकारी नही है।

राव सुजा जी : ये अमरसर की गद्दी पर बैठे।  इनके ६ पुत्र हुये।  इनमे लुणकरण जी जेष्ट पुत्र थे और वे ही अमरसर की गद्दी पर बैठे।

. लुणकरण जी के वंशज लुणकरण जी का शेखावत कहलाते हैं। इनके पुत्रो व प्रपोत्रों  के नाम पर सावलदास का ,उग्रसेनण जी का , अचलदास जी का आदि हैं। इनके छोटे पुत्र मनोहरदास जी अमरसर के शासक हुए।
इस समय खेजडोली ,महरोली ,ढोड्सर, करीरी , दोराला गुढ़ा ,सांगसर,सिंगोद छोटी बड़ी जुणस्या व सीकर के पास सबलपुरा आदि व रुन्डल मानपुरा ,लालसर बावड़ी ,रामजीपुरा व झुंझुनू जिले के कई गाँवो में सांवल दास जी के शेखावत है।

 राजा रायसल ये रायमल जी के द्वितीय पुत्र थे।  इन्हें अमरसर से गुजरे की लिये लाम्याँ की छोटी से जागीर दी गयी थी किन्तु यह अपने बहुबल से अपने पैत्रिक राज्य अमरसर के बराबर एक दुसरे राज्य के शासक बन बैठे। इन्होने निरबाणो व चंदेलों का पराभव कर खंडेला ,उदयपुर ,रैवसा और कासली पर अधिकार कर लिया

राजा रायसल के १२ पुत्रो में से सात का वंश चला।  ये सभी रायसलोत शेखावत है और इन्ही से सात प्रशाखाओं का विकास हुआ।

१. लाड़ा जी ये रायसल जी के जेष्ट पुत्र थे किन्तु इन को खंडेला की राजगद्दी नही मिली।इनका नाम लाल सिंह था।  सम्राट अकबर इन्हें प्यार से लाडखां कहता था।   इनके वंशज लाडखानी शेखावत है। खाचरियावास ,रामगढ़ ,लामियां ,बाज्यवास ,धीगपुरा ,लालासरी,हुडिल ,तारपुरा ,खुडी निराधणु ,रोरु ,खाटू ,सांवालोदा ,लाडसर लुमास डाबड़ी ,दिणवा,हेमतसर आदि  लाडखानियो के गाँव है।

२.भोजराज जी : इनको उदयपुर वाटी के ४५ गाव जागीर में मिले थे। इनके वंशज भोजराज जी का कहलाते है। भोजराज जी के प्रपोत्र शार्दुल सिंह जी ने क्यामखानी नवाबों से झुंझुनू छीन ली तो झुंझुनू वाटी का पूरा प्रदेश इन के  कब्जे में आ गया ये सादावत कहलाते है। झाझड ,गोठडा ,धमोरा ,चिराणा ,गुढ़ा  ,छापोली ,उदयपुर
वाटी ,बाघोली ,चला ,मनकसास,गुड़ा ,पोंख,गुहला ,चंवरा ,नांगल ,परसरामपुरा आदि इन के गाँव है जिसको पतालिसा कहा जाता है।  शार्दुल सिंघजी के वंशजो के पास खेतड़ी ,बिसाऊ ,सूरजगढ़ ,नवलगढ़ ,मंडावा डुड़लोद  ,मुकन्दगढ़ ,महनसर चोकड़ी ,मलसीसर ,अलसीसर आदि ठिकाने थे.

३. तिरमल जी इन के वंशज राव जी का शेखावत कहलाते है। इनके सीकर व कासली दो बड़े ठिकाने थे। शिव सिंह जी ने फतेहपुर कायमखानी मुसलमानों से जीत कर सीकर राज्य में मिला लिया।  टाड़ास, फागलवा ,बिजासी ,खाखोली ,पालावास ,तिडोकी ,जुलियासर ,झलमल ,दुजोद ,बाडोलास ,जसुपुरा ,कुमास ,परडोली ,सिहोट ,गाडोदा , बागड़ोदा,शेखसर सिहोट ,माल्यासी ,बेवा ,रोरु,श्यामगढ़ ,बठोट ,पाटोदा ,सखडी ,दीपपुरा आदि राव जी का शेखावतो के गाँव है।

४. हरिरामजी के वंशज हरिरामजी  का शेखावत कहलाते है।  मूंडरु, दादिया ,जेठी आदि इनके गाँव है।   

५. राजा गिरधर जी - ये रायसल जी के छोटे पुत्र थे किन्तु खंडेला की राजगद्दी इन्ही को मिली। इनके वंशज गिरधर जी का शेखावत कहलाते है।  खंडेला के अलावा दांता व खुड इनके मुख्य ठिकाने हैं।  राणोली ,दादिया ,कल्याणपुरा ,तपिपल्या कोछोर ,डुकिया ,भगतपुरा ,रायपुरिया ,तिलोकपुरा ,सुजवास ,रलावता ,पलसाना बानुड़ा ,दुदवा ,रुपगढ़,सांगल्या ,गोडीयावास,जाजोद ठीकरिया ,बावड़ी आदि गिरघर जी के शेखावतो के गाँव हैं।

(सन्दर्भ ग्रन्थ  :राव शेखा -ठाकुर सुरजन सिंह झाझड  )






             

7 comments:

  1. आप ने बहुत ही अच्छी जानकारी दी इतिहास के बारे में आप लाड़खानी शेखावत के बार में विस्तार से जानकारी दीराव हुक्म राजा रायसल दरबारी के लाल सिंह जी होवे वह कहा रहे उनकी कितने बच्चे होवे किनको कोनसे गाव की जागीर मिली हुक्म

    ReplyDelete
    Replies
    1. Ladkhani shekhawat ke pure kitne gaav h

      Delete
    2. Satnali nahad see nikal kar basai h rajnota see nahad aae te.fer 1535 me satnali basai chote Bhai ne bada Bhai nahad rha

      Delete
  2. Yes ratna g ka dadri vala kissa galat h rajnota see koe khas Karan see ahead aae te fer dono bhaiyo me kiss bat par takrar hue 1535 me chote vala ne satnali basai h asli itehash to ye h

    ReplyDelete
  3. तेजसी जी के शेखावत के संदर्भ में दिये गए बाणासुर का नाम सही करे यह बानसूर नाम से जाना जाता है।
    गढ़ी मामोड़ समेत पांच गांव है जिन्हें बावन्नी की जागीरी मिली
    ये निम्न प्रकार कर्मानुसार है।
    1 मुंडावरा
    2 गढ़ी मामोड़
    3 राजपुरा सिख
    4 नयाबास
    5 ज्ञानसिंह जी ढाणी

    ReplyDelete
  4. सावलदास के शेखावत कहां कहां है हुकुम

    ReplyDelete