Tuesday, September 11, 2012

अस लेगो अणदाग


  महाराणा प्रताप की म्रत्यु 15'जनवरी 1597 ई .की हुई। जब यह खबर अकबर को मिली तो वह उदास हो गया,  चारण कवी दुरसा आढ़ा ने उनकी म्रत्यु पर जो मरसिया कहा उस को सुनकर बादशाह  भावुक हो उठा।

गीत :- 
अस लेगो अण दाग, पाघ लेगो अण नामी !

गो आड़ा गवड़ाय , जिको बहतो धुर बामी  !!

नव रोजे नह गयो , नगो आतशां नवल्ली  !

न गो झरोखा हेठ , जेथ दुनियाण दहल्ली  !!

गहलोत राण जीती गयो, दसण मूँद रशना डसी !

नीशास मूक भरिया नयण , तो मृत शाह प्रतापसी !! 

भावार्थ :-
राणा ने अपने घोड़ो पर दाग नही लगने दिया (बादशाह की आधीनता स्वीकार करने वालो के घोड़ो को दागा जाता था।) उसकी पगड़ी किसी के सामने झुकी नही (अण नमी पाघ ) जो स्वाधीनता की गाड़ी की बाएँ धुरी को संभाले हुए था वो अपनी जीत के गीत गवा के चला गया।(गो आड़ा गवड़ाय ) (बहतो धुर बामी , यह मुहावरा है।
गीता में अर्जुन को कृष्ण कहते है की हे! अर्जुन तुम भारतों में वर्षभ हो यानि इस युद्ध की गाड़ी को खंच  ने का 
भार तुम्हारे पर ही है।)
तुम कभी नोरोजे के जलसे में नही गये , न बादशाह के डेरों में गए। (  आतशाँ -डेरे ) न बादशाह के झरोके के नीचे जहाँ दुनिया दहलती थी।(अकबर झरोके में बैठता था उस के नीचे राजा व नवाब आकर कोर्निश करते थे।)
हे! प्रतापसी तुम्हारी म्रत्यु पर बादशाह ने  आँखे बंद कर (दसण मूँद ) जबान को दांतों तले दबालिया ,ठंडी सांस 
ली , आँखों में पानी भर आया और कहा गहलोत राणा जीत गया .

  
 


     

6 comments:

  1. Bahut hi rochak jaankaari di hai aapney..dhanyawaad.

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  2. वाह सा वाह - जय एकलिंगनाथ जी की

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  3. Bahut rochak evam marmik prasang ki prastuti ke liye dhanyawad. Sw. Surjan Singh Sahab se milne evam thoda sa vyaktigat masle pr patrachar bhi huwa tha. Unke jaisa etihas vid ab koi nahi raha. Maharana Pratap aur Surjan Singhi ki sadar smriti evam naman.

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  4. जय हो एकलिंग नाथ की

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