Thursday, August 15, 2013

सवाई जयसिंह का व्यक्तित्व एवं कृतित्व

( यह लेख जयपुर समारोह के परिपेक्ष में  ठा . सुरजन सिंह जी शेखावत -झाझड द्वरा लिखा गया था व रणबांकुर मासिक पत्रिका के दिसम्बर १ ९ ९ २  के अंक में प्रकाशित हुआ है। )

जयपुर जैसे अद्वितीय महानगर के निर्माता महाराजा सवाई जय सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर देना यहाँ पर विषय सम्बन्ध होगा। सवाई जयसिंह की महान उपलब्धियों ने उसे भारत वर्ष का अपने समय का एक महान इतिहास पुरुष और राजनेता बना दिया था।
                 झुंझुनू और फतेहपुर के मरुस्थलिये कायामख्यानी नवाबी राज्यों के विजेता और अपनी वीरता के लिए सुप्रसिद्ध सेखावतों को मुग़ल नियत्रण से मुक्त करा कर महाराजा सवाई जयसिंह ने अपने करद राज्य व सहायक सामंतो के रूप में प्रस्थापित कर दिया था। इसी प्रकार जांगल प्रदेश के बीकानेर एवं लोहारू राज्यों  की सीमाओं को छुता शेखावाटी का विस्तृत मरू प्रदेश जयपुर राज्य के संरक्षण में आ चूका था। दक्षिण में नर्मदा नदी के तट तक सवाई जयसिंह के राजनैतिक प्रभुत्व और प्रभाव का डंका बज रहा था। मेवात में चुडामण जाट और उस के पुत्र मोहकम सिंह के आतंक का अंत करके जयसिंह ने उसके भतीजे बदन सिंह को प्रश्रय दिया और उसे चुडामण के राज्य का सर्वेसर्वा स्वामी बना दिया। इस सहायता और समर्थन के बदले में बदन सिंह आजीवन जयसिंह का कृतज्ञ राजभक्त एवं सहायक सामंत बना रहा। दिल्ली के सम्राट द्वारा प्रदत उपाधि और सम्मान की उपेक्षा करता हुआ बदन सिंह सवाई जयसिंह को ही अपना स्वामी तथा सहायक मानता था। प्रत्येक वर्ष मनाये जाने वाले विजयदशमी के दरबार में वह जयपुर जाता और राजा को नजर भेंट करता था। उसका पुत्र सूरजमल भी सवाई जयसिंह का राजभक्त व वफादार बना रहा। जब कभी जय सिंह डीग या भरतपुर के नजदीक होकर गुजरता तो सूरजमल एक विनम्र जागीरदार के रूप में उसके सामने उपस्थित होता और अपने प्रसिद्ध किलों की चाबियाँ उसके सामने रख कर कहता था - यह सब सम्पति आप की ही दी हुई है। ये सब उस  सहायता एवं  उपकार के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन के रूप में किया जाता था।     

7 comments:

  1. ठाकुर साहब की लेखनी को इंटरनेट पर प्रस्तुत करना जारी रखें, आदरणीय सुरजन सिंह जी की शोध लेखनी आने वाली युवा पीढ़ी के लिए एक विरासत होगी !

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  2. इनकी उपलब्धियां विस्तार बताएं ताकि हम जान सके कोई pdf हो भी

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  3. शायद अपने सही जानकारी नहीं पढ़ी। राजा सवाई जय सिंह ने मुगलों के अधीन होकर मुगल बादशह के साथ मिलकर थून किले पर हमला किया था। तब बदन सिंह ने राजा जय सिंह को बचाया था क्युकी किले को मुकाम सिंह बारूद से उड़ाने वाले थे। और समहराजा सूरजमल ने कभी अपने राज्य को जय सिंह के अधीन नहीं समझा बल्कि जयपुर के राजा ईश्वर सिंह सूरजमल के वजह से ही जयपुर की गद्दी पर बेठे थे महाराजा सूरजमल के बगरू के युद्ध में एक साथ 7 राजपूत मराठा सेना हो हराया था और ईश्वर सिंह को गद्दी पर बैठाया। कभी तो सच्चा इतिहास बताया करो कितनी मिलावट करोगे।

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  4. 😂 यार तुमने तो बदन सिंह को जय सिंह का भतीजा बना दिया। भाई किसी को तो छोड़ दो सबको राजपूत बनादिया। बदन सिंह चूरामन जाट के भाई के बेटे थे। कभी तो सही इतिहास बताया करो बिना मिलावट के।

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  5. Bhai mokam Singh ko harakar badan singh ko raja sawai jai singh ne bnaya tha

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