कर्नल टॉड का शेखावाटी के सम्बन्ध में अपनी पुस्तक "राजस्थान का इतिहास "में उल्लेख -
कर्नल टॉड को १८१८ ईस्वी में उदयपुर में ईस्ट इंडिया कम्पनी का रेजिडेंट नियुक्त किया गया जहाँ वह १८२२ ईस्वी तक रहा। यहाँ रहते हुए उसने अपने गुरु जैन यति ज्ञानचन्द्र की सहायता से संग्रहित चारण भाटों की ख्यातों ,दंत कथाओं और वंशावलियों तथा शिलालेखों आदि का अर्थ समझ कर अपनी भाषा में उनका अनुवाद किया। संस्कृत ,अरबी फारसी आदि दस्तावेजो व पांडुलिपियों का अर्थ समझने में उसे अपने मुंशियों से भी सहायता मिली।
इसने अपनी पुस्तक में राजस्थान के उस समय के राजघरानो के इतिहास को सम्मलित किया जिन में मेवाड़ ,मारवाड़ ,बीकानेर , जयपुर ,जैसलमेर ,बूंदी व कोटा का इतिहास है इसके अलावा केवल शेखावाटी पर अलग से अध्याय लिखा जो यह साबित करता है कि शेखावत जयपुर से अलग एक स्वतंत्र राज्य था व बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावशाली था।
"अब हम शेखावाटी संघ के इतिहास की तरफ आते हैं। इस का उद्भ्भव आमेर के सामंत घराने से हुआ है. समय व परिस्थितियों के प्रभाव से इस संघ ने इतनी अधिक शक्ति प्राप्त कर ली जितनी की उसके पैतृक राज्य की थी। इस संघीय राज्य के नियम व कानून लिखे हुए नही हैं और न उनका कोई अधिकारी अथवा राजा होता है ,जिसे सभी स्वीकार करते हों। इस राज्ये में कोई एक व्यवस्था नही है ,फिर भी यहाँ के सभी सामन्तो में एकता है। यहाँ कोई निश्चित राजनीती भी नही पाई जाती है। उन लोगो को जब कभी किसी सामान्य अथवा व्यक्तिगत रूचि के मामले पर विचार करना होता है ,तो शेखावाटी के सरदारों की महान परिषद उदयपुर में आयोजित की जाती है। और उस में निर्णय लिया जाता है। वहाँ जो निर्णय लिया है ,उसे सभी स्वीकार करते है। "… "मोकल के वशज दस हजार वर्ग मील क्षेत्र में फैले हुए हैं। "
कर्नल टॉड को १८१८ ईस्वी में उदयपुर में ईस्ट इंडिया कम्पनी का रेजिडेंट नियुक्त किया गया जहाँ वह १८२२ ईस्वी तक रहा। यहाँ रहते हुए उसने अपने गुरु जैन यति ज्ञानचन्द्र की सहायता से संग्रहित चारण भाटों की ख्यातों ,दंत कथाओं और वंशावलियों तथा शिलालेखों आदि का अर्थ समझ कर अपनी भाषा में उनका अनुवाद किया। संस्कृत ,अरबी फारसी आदि दस्तावेजो व पांडुलिपियों का अर्थ समझने में उसे अपने मुंशियों से भी सहायता मिली।
इसने अपनी पुस्तक में राजस्थान के उस समय के राजघरानो के इतिहास को सम्मलित किया जिन में मेवाड़ ,मारवाड़ ,बीकानेर , जयपुर ,जैसलमेर ,बूंदी व कोटा का इतिहास है इसके अलावा केवल शेखावाटी पर अलग से अध्याय लिखा जो यह साबित करता है कि शेखावत जयपुर से अलग एक स्वतंत्र राज्य था व बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावशाली था।
"अब हम शेखावाटी संघ के इतिहास की तरफ आते हैं। इस का उद्भ्भव आमेर के सामंत घराने से हुआ है. समय व परिस्थितियों के प्रभाव से इस संघ ने इतनी अधिक शक्ति प्राप्त कर ली जितनी की उसके पैतृक राज्य की थी। इस संघीय राज्य के नियम व कानून लिखे हुए नही हैं और न उनका कोई अधिकारी अथवा राजा होता है ,जिसे सभी स्वीकार करते हों। इस राज्ये में कोई एक व्यवस्था नही है ,फिर भी यहाँ के सभी सामन्तो में एकता है। यहाँ कोई निश्चित राजनीती भी नही पाई जाती है। उन लोगो को जब कभी किसी सामान्य अथवा व्यक्तिगत रूचि के मामले पर विचार करना होता है ,तो शेखावाटी के सरदारों की महान परिषद उदयपुर में आयोजित की जाती है। और उस में निर्णय लिया जाता है। वहाँ जो निर्णय लिया है ,उसे सभी स्वीकार करते है। "… "मोकल के वशज दस हजार वर्ग मील क्षेत्र में फैले हुए हैं। "
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