राजस्थानी साहित्य कि गणना वीर रस प्रधान साहित्य में होती है। किन्तु भक्ति ,करुणा ,श्रंगार आदि अन्य रसों वाली रचनाओं से भी यह साहित्य ओतप्रोत है। निशि दिन कठोर संघर्षों में जूझते हुए दुर्दान्त योद्धाओं कि जन्मभूमि होने के परिणाम स्वरुप वीर भावना यहाँ के वातावरण में नैसर्गिक रूप से व्याप्त रही है।
No comments:
Post a Comment