Saturday, March 10, 2012

हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप

हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने मुगल बहलोल पर जो प्रहार किया उस को मेरे स्वर्गीय पिताजी ठाकुर श्री सुरजन सिंघजी की पुस्तक से यों का यों उध्रत कर रहा हूँ .
'हल्दीघाटी के युद्ध में मुग़ल सेना के सेनापति कुवंर मानसिंह के hathi के aage युद्ध के मध्य भाग के रक्षकों में मुग़ल बहलोलाखा इराकी अश्व पर चढ़ा खड़ा था . उस के मस्तक पर लोहे का टोप (सिरस्त्रान) था. लोह जडित कड़ियों से बना कवच पहने हुए वह लोह जंजीरों से बनी पाखर (झूल )से सज्जित घोड़े पर सवार था. अपने चेतक अश्व को प्रबल वेग से दोडते हुए राणा को समीप आता देखकर बहलोल ने उसे युधार्थ ललकारा . राणा ने चेतक को उठा कर बहलोल के मस्तक पर तलवार का ऐसा प्रहार किया जो खान के टोप युक्त मस्तक को काटती कवच युक्त देह यस्ती को चीरती राणा की तलवार पाखर सहित उस के घोड़े को भी चीरकर आरपार निकल गई . उक्त घटना के अवसर पर प्रदर्शित राणा के असीम बल और पराक्रम की प्रसंशा में यहाँ के चारणकवियों ने गीतों की रचना कर उस रोमांचकारी धटना को चीरस्मरणीय बना दिया .
" वीर अवसान केबान उजबेक बही, राण हथवाह दहूँ राह राटियो.
कट झिलम सीस बख्तर बरंग अंग कट ,कटे पाखर सुरंग तुरंग कटियो .

हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप


JAMIN RO KUN DHANI

हमारे स्कुल के स्लेबस में एक कविता थी "जमीन रो कुण धणी, ओ धणी को वो धणी " कवी पूर्वाग्रसित था. जमीन के कल तक के धणीयो से जिन्होंने ये धरती अपने बहुबल से अर्जित की थी,जिनका धर्म केवल जमीन का उपभोग नही था बलकी कर्तव्य पालन की महती भावना के तहत बलिदान की की परकासटा जो की आत्मोत्सर्ग ही था के लिए सदेव तैयार रहते थे को गलत ढंग से दिखाने के लिए एक सोची समझी रणनीति के तहत लिखा था. मैंने यह कविता जब मेरी पिताजी को दिखाई तो उन्होंने हंस कर जो प्र्तुतर दिया वो कुछ इस प्रकार था :
काळ चक्र नै देख घुमतो ,बोल उठ्यो कोई कवी कणि.
इण धरती रो कुण धणी ,ओ धणी को वो धणी .
काळ देव हंस कर यो बोल्या ,धरती रो ना कोई धणी .
धरती है माता सारा की ,
काळ देव म बीज बणी,नित उपजाऊ नित खपाऊ .
आतो रवे बणी ठनी,
कतरा बेटा इणरी खातर,खून देवे और मोत वरे .
बिजोड़ा अन धन उपजाव ,खून पसीनो एक करे .
धरती पर रक्षक न होता ,चोर लुटेरा कियां डरे .
अन धन इज्जत आब मिनख री, लेता बी नाहक डरे .
सोच समझ कर बोलो ,धरती रा है कोण धणी .
अ धणी क ब धणी .