भावार्थ : आज राम और लक्ष्मण नही है परन्तु उन का वर्णन रामायण में है ,उसी प्रकार बलदेव व कृष्ण भी नही है किन्तु भागवत व पुराणो में वे आज भी जीवित है.वाल्मिक , सुकदेव ,व्यास आदि अगर कथा कविता में उन को जिन्दा नही रखते तो आज उन का कोन ध्यान धरता और उन के रूप की पूजा अर्चना होती . जगत में जिस को अमर नाम चाहिए उसको कवियों के पांव पूजने चाहिए,राणा जगत सिंह का पुत्र राजसिंह यह सजीवन अक्षरों में कह रहा है
सही कहा राज सिंह जी ने यदि कवि, साहित्यकार इतिहासकार नहीं होते तो आज न इतिहास होता न साहित्य और न ही हम अपने पूर्वजों के बारे में पढ़ पाते !!
ReplyDeleteજય એક્લીનાથ જી કી સા
Deleteબહુત હી સુંદર અભી વ્યક્તિ - ધન્યવાદ
જય એક્લીનાથ જી કી સા
ReplyDeleteબહુત હી સુંદર અભી વ્યક્તિ - ધન્યવાદ