प्रथ्विराज राठौर बीकानेर व अकबर के बीच महाराणा प्रताप को लेकर जो वार्तालाप हुआ उसकी जानकारी जब प्र्थिविराज जी की राणी भटयानीजी चंपादे को मिली तो उन्होंने कहा "
"पति जिद की पातसाह सूं,येम सुनी मै आज.
कंह अकबर पातल कंह ,किधो बड़ो अकाज."
भटियानीजी को आश्वस्त करते हुए प्रथ्विराज जी ने कहा .
"जब ते सुने है बैन तबते न मोको चैन ,
पाती पढ़ नेक न विलम्ब लगओगो !
लेके जमदूत से समस्त रजपूत आज,
आगरे में आठों याम उधम मचावगो !
कहे प्रथ्वीराज प्रिय नेक उर धीर धरो ,
चिरंजीवी राणाश्री मलेचन न भगावगो !
मन को मरद मानी प्रबल प्रतापसी ,
बबर ज्यों तडफ अकबर पे आवेगो !"
"पति जिद की पातसाह सूं,येम सुनी मै आज.
कंह अकबर पातल कंह ,किधो बड़ो अकाज."
भटियानीजी को आश्वस्त करते हुए प्रथ्विराज जी ने कहा .
"जब ते सुने है बैन तबते न मोको चैन ,
पाती पढ़ नेक न विलम्ब लगओगो !
लेके जमदूत से समस्त रजपूत आज,
आगरे में आठों याम उधम मचावगो !
कहे प्रथ्वीराज प्रिय नेक उर धीर धरो ,
चिरंजीवी राणाश्री मलेचन न भगावगो !
मन को मरद मानी प्रबल प्रतापसी ,
बबर ज्यों तडफ अकबर पे आवेगो !"
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