Saturday, August 9, 2014

आज के बेटे -रचियता श्री धौंकल सिंह जी चरला

                                          आज के बेटे -रचियता श्री धौंकल सिंह जी चरला 



बाप कहता है -

ऐ बहु बेटा आज रा ,जीव तणा जंजाल।
बेटा सूं  भली ,जड़ कद लेय संभाल।।

ऐ बहु बेटा आज रा ,घर नै समझे सराय।
आवै रैवै दोय दिन ,फुर सूं हुवै फरार।।

अ बेटोजी आज रा ,झूठो काड कसूर।
माँ बापां नै छोड़ कर ,रहाणो चावै दूर।।

अ बेटोजी आज रा ,गिने न भाई भैंण।
मीठा बोलै सासरै ,घर मैं खारा बैंण।।

अ बेटो जी आज रा ,जोरू तणा गुलाम।
सारै न उठणो बैठणो , बीबी हाथ लगाम।।

छोड़ो आस ओलाद री ,खींचो आपो आप।
दोष जमाना ने घणो ,बेटा बणग्या बाप।।

बेटा कहता है -

बुरा बुरा दुनिया कहवे ,बुरा न देख्या कोय।
घर मैं बूढ़ा बाप सूं ,जग में बुरो न कोय।।

हाण ढली हिम्मत हटी ,रहग्यो खाली रोष।
आवै भटका लारला ,  दे बेटां न दोष।।

बैठे हाट बाजार मै ,राखै एको गीत।
बहु बेटां नै भुंडणो , आ बूढ़ां  री रीत।।

काम करै न करण दे ,कह्यो न मानै एक।
करै बखाण विगत रा ,राखै झूठी टेक।।

चोडे बैठ 'र चौखला ,देवै घर रो पोत।
छाने री चौड़े करै ,आव न आनै मोत।।

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