Saturday, September 21, 2013

भोमिया शब्द व उस का अर्थ

भोमिया शब्द व उस का अर्थ 

मेरे  बहुत से मित्र जो मेवाड़ व जालोर आँचल से हैं उनके यहाँ दो शब्द राजपूतों को विभाजित करने के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं  - एक  भोमिया व दूसरा रजपूत -वे अपने आप को इस से भिन्न देखना व समझना चाहते हैं।
मैं ने कभी कर्नल टॉड को पढ़ा था उसके संदर्भो को अंडर लाइन करता गया ,शायद बिना कुछ ज्यादा समझे ,पर आज फिर उसे पढ़ रहा था तो भोमिया के लिए उस समय क्या मान्यता थी उस का दिग्दर्शन हो जाता है -

"आरम्भिक दशा में राणा के वंशज "भोमिया " नाम से विख्यात थे और राज्य के ऊँचे पदों पर प्रतिष्ठित होने के कारण विशेष रूप से सम्मानित होते थे। बाबर व राणा सांगा तक उनकी यह मर्यादा यथावत बनी रही।
     मेवाड़ राज्य में जिन लोगों पर युद्ध के संचालन का दायत्व है ,उन में भोमिया लोग प्रमुख माने जाते थे। भोमिया नाम ही उनकी श्रेष्ठता का परिचय देता है।
इनकी जागीरे बराबर नही है। किसी किसी के अधिकार में तो केवल एक ही गाँव है। अपनी जागीरी भूमि का वे राणा को बहुत कम कर देते हैं।  आवश्यकता पड़ने पर उन्हें राणा को सैनिक बनकर युद्ध के लिए जाना पड़ता है।  युद्ध की अवधि में उनके खाने पीने की व्यवस्था राणा की तरफ से की जाती है।
राज्य में इन भूमिपतियों    अर्थात भोमियों का इतना मान सम्मान है कि प्रथम श्रेणी के सामंत भी इस पद का प्रयास करते रहते हैं। 

8 comments:

  1. हम तो अब तक भूमिपतियों को ही भोमिया समझते रहे !
    शानदार व काम की जानकारी के लिए आभार !!

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  2. स्पष्ट और सटीक विश्लेषण हुक्म ।

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  3. जानकारी के लिए धन्यवाद हुकुम

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  4. रावल सरदार ओर भौमिया सिरदार एक ही है या अलग अलग।

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  5. बंन्ना भोमिया और झुंझारो में किया अंतर है और इनकी तो जगह जगह देवलिया हे ना

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