Saturday, April 6, 2013

राजस्थानी दोहे

एक बार एक चारण चुरू आया। गढ़ के गोखे पर अपना धोती लोटा छोड़ कर गढ़ के अंदर गया। वापिस आया तो धोती लोटा दोनों गायब थे। तब चारण ने कहा :

चुरू रांड चाँदडी , कुण आवेगो थारे !
धोती लोटो खो दियो ,  ईं गोखै कै सा रै !!

चुरू ठाकुर साब को मालूम पड़ा तो उन्होंने चारण को नई धोती व लोटा दिलवा दिया ,और चारण को कहा अपने वचनों को फेर। तब चारण ने दूसरा दोहा कहा :

चुरू होसी चोगुनी , धीरा होसी धींग !
दो खिडा उड़ ज्यावसी , ज्यों सावन की भींग !!  

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