Sunday, February 10, 2013

Shekhawat Madan Singh of Jhajhar: फुटकर राजस्थानी दोहे

Shekhawat Madan Singh of Jhajhar: फुटकर राजस्थानी दोहे: वेद पढो जोतिग पढो ,चतुराई समरथ। मेह मोत अर रिजक को, कागद साईं हाथ।। 1 भावार्थ;  कितने ही वेद व ज्योतिष के जानकर हों ,चतुर व समर्थ हो, कि...

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