Sunday, July 20, 2014

महाराणा कुम्भा बहुत ही पराक्रमी शासक हुये हैं।सन १४१९ ई में राजगद्दी पर बैठे सन १४६९ ई में इन के पुत्र ने इनकी हत्या करदी।   उन्होंने नागौर से मुसलमानो को भगा दिया। मालवा के सुलतान मोहमद ख़िलजी को परास्त कर चितोड़ के किले में विजय स्तम्भ बनवाया। कुम्भलगढ़ का गढ़ इन्ही का बनवाया हुआ है। मुख्यद्वार पर हनुमान पोळ है जिसमे हनुमान जी की विशाल मूर्ति है जो नागौर जीत कर वंहा से लायी गयी थी। ये  खुद संस्कृत के विद्वान थे। राजदरबार में कवियों का सम्मान था।  एक दफा इन्होने एक गाय को ताण्डव करते देखा और सहसा इन के मुख से निकला  "कामधेनु तंडव करिये " किन्तु दूसरी पंक्ति जुड़ नही रही थी। दरबार में आकर बैठे परन्तु वंहा भी बीच -बीच में "कामधेनु तंडव करिये " मुंह से निकल जाये। एक कवि जो दरबार में उपस्थित था ने महाराणा की विक्षिप्त सी स्थिति को समझ कर कवित पूरा किया -

जद धर पर जोवती मन मांह डरंती।
गायत्री संग्रहण -दृष्टी नागौर धरंती।।
सुर तेतीसों कोड -आण निरंता चारो।
नह खावत न चरत -मन करती हहकरो।
कुम्भेण राण हणीया किलम -आंजस उर डर उतरियो।
तिण दीह द्वार शंकर तने -कामधेनु तंडव करिये।।

( गाये मुसलमानो से संत्रस्त थी ,देवता चारा डालते तो भी नही खाती थी। राणा कुम्भा ने मुसलमानो का नाश किया इस से इस के मन का डर जाता रहा और इसलिए शंकर के द्वार पर जा कर गाय ने हर्ष से तांडव किया।) 

1 comment:

  1. The different major 카지노사이트 players in Australia are Star Entertainment and Skycity Entertainment Group

    ReplyDelete