रहीम खान खाना अकबर के नव रत्नों में था,दरबारी ,कवी व उदारमना था.कवी गंग जब रहीम से मिलने गये तो रहीम ने कवी का बहुत सत्कार किया एवम काफी द्रव्य इनाम में दिया.तो कवी गंग ने कहा :
" खाना खान की बड़ी अपूर्व बात ! ज्यों ज्यों कर उपर बढ़े त्यों त्यों निचे नयन !! "
रहीम ने जवाब दिया :
" देन हार कोई और है ,देत रहत दिन रैन !
लोग भ्रम मो पे धरे ताते निचे नयन !! "
" खाना खान की बड़ी अपूर्व बात ! ज्यों ज्यों कर उपर बढ़े त्यों त्यों निचे नयन !! "
रहीम ने जवाब दिया :
" देन हार कोई और है ,देत रहत दिन रैन !
लोग भ्रम मो पे धरे ताते निचे नयन !! "
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